हमारा समाज (OUR SOCIETY)
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नन्हंे से नन्हें बच्चे अपने आस पास की चिजो के बारे मे जानने के लिए बहुत व्याकुल रहते हं,ै केवल दृश्य ही नही उसके पीछे छिपे अदृश्य चिजा को भी जान लेने की बहुत जिज्ञासा उनके अन्दर होती है यह बच्चपन की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। क्योकि छोटे बच्चो मे अपने आस पास के प्रत्येक चिज के बारे मे शिघ्र से शिघ्र जान लेने और सिख लेने की आकुलता हमे हैरत मे अवश्य डाल देती है ऐसे में हमें यह लगने लगता है कि बच्चा जो सोच रहा है उसका वास्तविकता से कोई संबंध नही है बच्चे की दुनिया हम लोगों से अलग स्वतं़़़त्र होती है और वह उसे बनाये रखना चाहता है।
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